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गज का आतंक:10 दिनों से सरगुजा से पहुंचा 40 हाथियों का दल जिले के जंगलों में मचा रहा उत्पात, विभाग ने फसल कटाई पर लगाई रोक

कांसाबेल वन परिक्षेत्र के तामासिंघा तालाब में शुक्रवार की दोपहर 3 बजे 40 हाथियों का दल घुस आया। यह वक्त ग्रामीणों से खेत से वापस लौटने का था। अचानक तालाब में हाथियों के दल के घुसने से ग्रामीणों का भीड़ हाथियों को देखने के लिए तालाब के किनारे जुट गई। करीब डेढ़ घंटे तक तालाब में हाथियों ने जलक्रीड़ा की। जिसे दूर से पूरे गांव ने देखा।

शाम करीब 4:30 बजे यह दल जंगल की ओर लाैट गया। शनिवार की सुबह यह दल कुनकुरी वन परिक्षेत्र के खारीझरिया जंगल पहुंच गया है, ऐसे में विभाग ने सुरक्षा की दृष्टि से क्षेत्र में फसल कटाई पर रोक लगा दी है।

करीब दस दिन पहले 8 नवंबर को हाथियों का यह दल सरगुजा के लुंड्रा से बगीचा वन परिक्षेत्र में पहुंचा था। बगीचा के छिछली सहित अन्य गांव में पहली ही रात उत्पात मचाने के बाद यह दल पेटा के जंगल में दाे दिन तक रुका। वन विभाग ने कर्मचारियों ने दो दिन की शक्त के बाद दल को स्टेट हाइवे पार कराया था। इसके बाद यह दल झक्की जंगल होते हुए कांसाबेल वन परिक्षेत्र में आ पहुंचा है। कांसाबेल इलाके में यह दल बीते सात दिनों से बना हुआ है। हाथियों की वजह से ग्रामीणों की नींद उड़ी हुई है।

परेशानी : सर्दी में गांव के बाहर लोग रोज पूरी रात दे रहे पहरा
सर्द रातों में ग्रामीण रोजाना जानमाल की सुरक्षा को लेकर रतजगा कर रहे हैं। शाम होते ही प्रभावित गांव के ग्रामीण हाथियों पर निगरानी के लिए पहुंच जाते हैं। जिस बस्ती के करीब हाथियों का दल होता है, उन सभी बस्तियों के लोग गांव के बाहर जंगल की ओर तैनात रहते हैं। हाथ में चार्ट लेकर वे बार-बार जंगल व खेत की ओर टार्च की रोशनी से नजर बनाए रखते हैं। यदि हाथी बस्ती की ओर बढ़ते हैं तो ग्रामीण उसे वापस लौटाने के लिए पटाखे फोड़ते हैं, टार्च की रोशनी हाथियों के आंख पर मारते हैं, ढोल व टिन बजाते हैं।

आठ गांव में फसल की कटाई को वन विभाग ने रोककर रखा
हाथियों का दल कुनकुरी रेंज के खारीझरिया जंगल में है। यह जंगल कुनकुरी नगर से सटा हुआ है, इसलिए नगरवासी भी हाथियों की मौजूदगी को लेकर सतर्क हो गए हैं। इधर वन विभाग ने गड़ाकाटा, लोटापानी, श्रीटोली, कुंजारा, केंदापानी, घोंघाआंबा, बरांगजोर, ठेठेटांगर, हल्दीमुंडा, मयूरचुंदी सहित अन्य गांव के ग्रामीणों को अलर्ट किया है। वन विभाग ने जंगल से लगे हुए खेतों में किसानों को धान काटने से मना किया है। विभाग का कहना है कि हाथियों का दल जब जंगल में है तब तक खेत में ना जाएं।

तपकरा या पत्थलगांव की ओर जा सकता है यह दल
वन विभाग के मुताबिक हाथियों का दल किधर जाएगा यह अभी से कह पाना मुश्किल है। क्योंकि अभी हाथी बीचों बीच में है। हाथी यदि तपकरा की ओर बढ़ता है तो वह तपकरा जंगल होते हुए ओडिशा की ओर निकल जाएगा। पर यदि वापस कांसाबेल की ओर लौटता है तो वह पत्थलगांव वन परिक्षेत्र होते हुए सीतापुर की ओर निकलेगा। जिस जंगल में हाथी है, उससे सटे सभी गांव को विभाग द्वारा अलर्ट किया जा रहा है।

हम दल की सतत् निगरानी कर रहे हैं
हाथियों के दल पर विभाग की निगरानी बनी हुई है। जिस जंगल में हाथी हैं, उसके आसपास के सभी गांव को अलर्ट करते हुए रोजाना मुनादी कराई जा रही है। जंगल से सटे गांव में किसानों को फिलहाल धान काटने के लिए नहीं पहुंचने को भी कहा गया है। फसल हानि का आंकलन कर मुआवजा प्रकरण तैयार कराया जा रहा है।
जितेन्द्र उपाध्याय, डीएफओ

Tilesh Kumar Sen

संपादक, छत्तीसगढ़ लाइव 24

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