छत्तीसगढ़

देवी के इस मंदिर का है 700 साल पुराना इतिहास, दर्शन मात्र से हो जाती हैं समस्त मनोकामना पूर्ण

रायपुर। नवरात्रि का आज छटवां दिन हैं और आज मां कात्यायनी की पूजा अर्चना की जा रही हैं। रायपुर के अलग अलग मंदिरों के साथ ही कुशालपुर चौक स्थित मां दंतेश्वरी मंदिर में भी भक्तों की भीड़ नजर आई। महामाया मंदिर की तरह ही राजधानी के कुशालपुर में मां दंतेश्वरी का मंदिर भी काफी प्राचीन है। माता के इस मंदिर से श्रद्धालुओं की गहरी आस्था जुड़ी हुई है।

ऐसा माना जाता है कि मंदिर के गर्भगृह के ठीक पीछे नाग-नागिन की मांद हुआ करती थी। नवरात्रि पर्व के दौरान नाग-नागिन का जोड़ा एक बार जरूर माता के भक्तों को दर्शन देने के लिए निकलता था और परिक्रमा कर मूर्ति के बाजू से होकर मांद में प्रवेश कर जाता था। अब उसी स्थान पर भोलेबाबा विराजमान है।

देवी की स्थापना का इतिहास करीब 700 वर्ष पूराना है। उस समय यह स्थान पूरी तरह से जंगल था। ग्वाले यहां मवेशी चराने आते थे, एक दिन उन्हे माता की मूर्ति जमीन से प्रकट होते दिखाई दी, तब से यहां पूजा अर्चना शुरू हुई, इसलिए यहां यादव ही मंदिर के पुजारी होते हैं इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां जो भी श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते हैं सभी की मनोकामना पूर्ण होती है।

Tilesh Kumar Sen

संपादक, छत्तीसगढ़ लाइव 24

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