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बालोद:स्कूल में विषय शिक्षक व भवन की कमी, अव्यवस्थाओं का अंबार,तो ऐसे कैसे गढ़ेंगे स्कूली छात्र अपना भविष्य

बालोद।न स्कूल भवन, न विषय के शिक्षक और अव्यवस्थाओं का अंबार, ये हकीकत उन दावों की पोल खोलती है जो जनता से किए जाते हैं. वैसे कहा भी जाता है कि दावे हैं दावों का क्या, सच्चाई तो कुछ और ही होती है. यही सच्चाई देश के भविष्य का जीवन अंधकार में डाल देती है. छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के एक स्कूल की सच्चाई भी ऐसी ही है. जहां ग्राम भरदाकला में स्तिथ हायर सेकेंडरी स्कूल में 4 माह पहले डिस्मेंटल किए गए भवन का निर्माण कार्य आज तक शुरू नहीं हो सका भवन निर्माण न होने की वजह से यहां के छात्र-छात्राओं को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. आलम ये है कि प्रयोगशाला और पुस्तकालय और बरामदे में बैठकर बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर हैं. यही नहीं स्कूल में विषय के शिक्षकों की भी कमी है. यहां तक कि केमेस्ट्री और बायो सब्जेक्ट के टीचर ही नहीं हैं. जिसकी वजह से छात्र-छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।

2 साल पहले गिरा था स्कूल का प्लास्टर

2 साल पहले जर्जर स्कूल का प्लास्टर गिर गया था, जिसे डिस्मेंटल किया गया हैं. प्लास्टर गिरने से एक छात्रा बुरी तरह घायल हो गई थी. इस घटन के बाद प्रशासन हरकत में आया था और जर्जर स्कूल भवन को तोड़ने के निर्देश दिए. बताया जाता है कि पिछले साल 48 लाख रुपये की राशि 6 कमरे के लिए स्वीकृत हुई थी, बावजूद इसके आज तक इन 6 कमरों का निर्माण नहीं हो सका.

स्कूल में शौचालय की भी समस्या

3, 4 किलोमीटर दूर से आने वाले छात्र और छात्राओं को काफी परेशानी होती है. स्कूल के बच्चों को क्लासरूम न होने की वजह से बरामदे में बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है. यही नहीं स्कूल में शौचालय की भी समस्या है. वहीं बारिश के समय स्कूल परिसर में पानी भर जाता है. लेकिन आज तक शिक्षा विभाग और स्थानीय प्रशासन के द्वारा कुछ नहीं किया गया।

अनुमति मिलने के बाद भी नहीं शुरू हुआ काम

स्कूल के प्राचार्य टीएस कौमार्य की माने तो बीते साल स्कूल जर्जर होने के चलते डिस्मेंटल किया गया था. एसडीएम की अनुमति मिलने के बाद पंचायत ने डिस्मेंटल की कार्रवाई की थी. लेकिन आज तक यह भवन निर्माण कार्य शुरू भी नहीं हो पाया है. जबकि नए भवन की स्वीकृति भी हो चुकी है और राशि भी जारी हो गई है. वहीं स्कूल के बच्चों का कहना है कि स्कूल में कमरे की तो समस्या है ही, साथ ही विषय के शिक्षकों की भी कमी है।

वहीं स्थानीय जनप्रतिनिधि पूर्व जनपद सदस्य एवं सरपंच क्रांति भूषण साहू का कहना है कि राशि जो 48 लाख स्वीकृत हुई थी उसे बीजेपी सरकार ने वापस कर दिया है. उन्होंने बताया कि पीडब्ल्यूडी ने एक बार इसका टेंडर भी निकाला था. फिर विधानसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता में काम शुरू नहीं हो पाया. वहीं नई सरकार आने के बाद पैसे को वापस कर दिया गया. उन्होंने आगे आरोप लगाया कि शिक्षा विभाग भी इस मामले में कोई जानकारी नहीं दे रहा है।

Tilesh Kumar Sen

संपादक, छत्तीसगढ़ लाइव 24

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